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मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा

अंतर्नाद
अंतर्नाद
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सच कहता हूँ खो जाऊँगा ,
ये वाह्य कलेवर तज जाऊँगा ,
मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा |
स्वप्नों के यौवन से निकालो ,
और मुझको अपना लो वरना ,
दूर चला जाऊँगा ,
चिर निद्रा में सो जाऊँगा ,
मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा |

तुम धरम करम की बातों से मत फुसलाओ ,
कुछ खुद बदलो कुछ ह्रदय मेरा भी बहलाओ ,
वरना आँखों के सागर कि जलधारा में ,
मैं बन जलपरी प्रसन्न मन से इठलाऊंगा ,

मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा |

अनुभव कि चक्की से जीवन को मत पीसो
बस वही करो जो ह्रदय तुम्हारा कहता है ,
एक ऐसा पल अन्यथा आएगा जीवन में ,
जब अम्बर पर मैं ध्रुव बन कर तड़पाऊँगा ,

मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा
चिर निद्रा में सो जाऊँगा ,
मैं पंछी बन उड़ जाऊँगा ||

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